कढ़ाई के प्रकार
भारत में कढ़ाई के कई प्रकार हैं, लेकिन कुछ ऐसे प्रकार है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी लोकप्रियता मिली है।
चिकन की कढ़ाई – चिकनकारी
Chikan Embroidery – Chikankari
चिकनकारी शब्द चाकिन शब्द से बना है, जो एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ है कपड़े पर सुन्दर कशीदाकारी, खुबसूरत पैटर्न या बेल-बूटे बनाना। उत्तर प्रदेश राज्य, विशेष रूप से लखनऊ शहर को चिकनकारी कढ़ाई का केंद्र माना जाता है।
पहले यह महीन कपड़े पर जैसे मलमल कपड़े पर सफेद धागे के साथ किया जाता था।चिकन की कढ़ाई के बारे में अधिक जानकारी के लिए – चिकनकारी पेज देखें।
ज़रदोज़ी कढ़ाई
Zardozi embroidery
ज़रदोज़ी कढ़ाई, embroidery का एक प्राचीन रूप है। ज़रदोज़ी कढ़ाई मूल रूप से सोने या चांदी के ज़री के धागे से किया जाता था, इसलिए इसे धातु कढ़ाई के नाम में भी जाना जाता है। हालांकि आजकल यह रंगीन धातु के धागे के साथ भी किया जाता है।
ज़रदोज़ी शब्द फारसी भाषा के ज़ार और दोज़ी शब्द से बना है, जिनका अर्थ क्रमश: सोना और कढ़ाई है। ज़रदोज़ी कढ़ाई के बारे में अधिक जानकारी के लिए – ज़रदोज़ी कढ़ाई पेज देखें।
मिरर कढ़ाई
Mirror Embroidery
मिरर कढ़ाई अर्थात कांच-कढ़ाई या mirror embroidery, गुजरात राज्य की विशेषता है। गुजरात राज्य के अलावा यह कला राजस्थान में और जाट समुदाय में भी काफी प्रचलित हैं।
कांच से कढ़ाई या मिरर का काम अकेले कभी नहीं किया जाता है। यह आम तौर पर अन्य प्रकार के सिलाई या कढ़ाई के साथ किया जाता हैं। कांच से की जाने वाली कधी के बारे मे अधिक जानने के लिए – मिरर कढ़ाई पेज देखें।