भारतीय कढ़ाई के प्रकार: जानिए 15+ भारतीय कढ़ाई की शैलियाँ

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Indian Embroidery Forms

भारतीय कढ़ाई के प्रकार - Indian Embroidery Forms
भारतीय कढ़ाई के प्रकार – Indian Embroidery Forms

भारत में एम्ब्रॉयडरी सदियों से चली आ रही है और यह अपनी समृद्ध कढ़ाई परंपरा के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

भारतीय कढ़ाई दुनिया भर में लोकप्रिय है और अत्यधिक पसंद की जाती है।

लेकिन भारत में एक प्रकार की कढ़ाई नहीं हैं, बल्कि यहाँ के हर राज्य में अलग-अलग प्रकार की कढ़ाई होती है, जो उनकी सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय कलाकारी को दर्शाती है।

हर क्षेत्र में कढ़ाई की अपनी अनूठी शैली है, जिसमें वे अपने खास पैटर्न (pattern), रंग और टेक्निक (technique) का इस्तेमाल करते है।

भारतीय एम्ब्रॉयडरी खास इसलिए है क्योंकि हर राज्य की अपनी अनूठी स्टाइल वहाँ के लोगों, उनकी परंपराओं और संस्कृति की कहानी बताती है।

इस आर्टिकल में, हम भारतीय एम्ब्रॉयडरी के अलग-अलग प्रकारों के बारे में जानेंगे। हम इसे सरल रखेंगे, ताकि आप आसानी से समझ सकें और इस रंगीन परंपरा को सीखने का आनंद ले सकें।

प्रत्येक भारतीय कढ़ाई के प्रकार में उसका सरल विवरण दिया गया है, उसके बाद वो कहाँ से है, उसका पैटर्न, टेक्निक, और कहाँ इस्तेमाल होती है, यह जानकारी दी गयी है।

तो चलिए देखते है भारतीय कढ़ाई की विभिन्न और अनूठी शैलियाँ।


1. चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी (Chikankari Embroidery)

चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी क्या है?

चिकनकारी उत्तर प्रदेश के लखनऊ की बहुत बारीक और नाजुक एम्ब्रॉयडरी स्टाइल है।

इसे महीन कपड़ों जैसे मुलमल, सिल्क, शिफॉन, या कॉटन पर किया जाता है।

इसमें अक्सर फूलों के डिज़ाइन, पत्ते और ज्यामितीय पैटर्न होते हैं।

कभी-कभी हल्के रंग भी दिखाई देते हैं, लेकिन ज्यादातर सफेद या पैस्टल (pastel) रंग के कपड़े पर सफेद धागे का काम होता है।

 चिकनकारी में टेपीची, बखिया, हूल और जाली जैसे कई टांके इस्तेमाल होते हैं।

चिकनकारी में किस तरह के पैटर्न इस्तेमाल होते हैं?

चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी में आमतौर पर फूल, पत्तियां, बेलें और पैज़ली (paisley) दिखाए जाते हैं। ये डिज़ाइन (design) कोमल और प्राकृतिक दिखते हैं। लोग चिकनकारी को पसंद करते हैं क्योंकि यह एलिगेंट (elegant) और सिंपल (simple) दिखती है।

कहाँ से है: लखनऊ, उत्तर प्रदेश

पैटर्न: फूल, पत्तियां, बेलें, पैज़ली, नाज़ुक फ्लोरल मोटिफ्स (floral motifs), और जाली वर्क (jaali work)

टेक्निक: चेन स्टिच (chain stitch), बैक स्टिच (back stitch), शैडो वर्क (shadow work), टेपची या रनिंग स्टिच (running stitch), बखिया, और मुर्री

कहाँ इस्तेमाल होता है: कुर्ते, साड़ियां, स्कार्फ (scarf), ड्रेस (dress), दुपट्टे, लहंगे, और घर की सजावट जैसे टेबलक्लॉथ (tablecloth) और पर्दे

चिकनकारी एम्ब्रायडरी के बारें में विस्तार से जानने के लिए क्लिक करे :

चिकनकारी – चिकन एम्ब्रॉयडरी


2. कांथा एम्ब्रॉयडरी (Kantha Embroidery)

कांथा एम्ब्रॉयडरी क्या है?

कांथा एम्ब्रॉयडरी पश्चिम बंगाल से आई है और यह सरल टांके से बनाई जाने वाली कढ़ाई है। 

इसकी शुरुआत तब हुई जब महिलाएं पुराने कपड़ों को जोड़कर गर्म कंबल बनाती थीं।

वे सीखने में आसान रनिंग स्टिच (सीधी लाइनें) का इस्तेमाल करती थीं।

कांथा में किस तरह के पैटर्न सिले जाते हैं?

लोग जानवर, पक्षी, फूल, या यहां तक कि रोजमर्रा की चीजें करते हुए लोगों को भी सीते हैं।

कांथा में पुराने साड़ियों या कपड़ों की परतों पर साधारण रनिंग स्टिच का उपयोग करके जटिल डिज़ाइन बनाए जाते हैं। 

कांथा एम्ब्रॉयडरी दैनिक जीवन या प्रकृति की कहानियां बताती है।

इस एम्ब्रॉयडरी में चमकीले रंग और मजेदार पैटर्न होते हैं।

कहाँ से है: पश्चिम बंगाल और ओडिशा

पैटर्न: फूल, पक्षी, जानवर, सरल आकृतियां, लोक दृश्य, और ज्यामितीय आकार

टेक्निक: रनिंग स्टिच (running stitch), क्विल्टिंग (quilting)

कहाँ इस्तेमाल होता है: साड़ियां, कंबल, दुपट्टे, कुशन कवर (cushion cover), और वॉल हैंगिंग (wall hanging)


3. फुलकारी एम्ब्रॉयडरी (Phulkari Embroidery)

फुलकारी एम्ब्रॉयडरी क्या है?

फुलकारी एम्ब्रॉयडरी पंजाब में प्रसिद्ध है। “फुलकारी” का मतलब है “फूलों का काम।”

महिलाएं सादे कपड़े को सुंदर बनाने के लिए रंगीन सिल्क (silk) के धागों से सिलाई करती हैं।

बाग, फुलकारी का एक घना रूप है, जो पूरे कपड़े को कढ़ाई से ढक देता है।

फुलकारी डिज़ाइन कैसे दिखते हैं?

फुलकारी में अक्सर फूल, ज्यामितीय आकार और प्रतीक दिखाए जाते हैं।

महिलाएं शादियों और खास मौकों पर फुलकारी की ड्रेस या शॉल पहनती हैं।

चमकीले रंग फुलकारी को बहुत खुशनुमा और त्योहार जैसा बना देते हैं।

कहाँ से है: पंजाब

पैटर्न: चमकीले फूलों के डिज़ाइन, ज्यामितीय आकार, और उपजाऊपन और समृद्धि के प्रतीक (जैसे गेहूं की बालियां)

टेक्निक: डार्न स्टिच (darn stitch) (लंबा और छोटा) जो मोटे खादी कपड़े के पीछे की तरफ से चमकीले सिल्क धागों से किया जाता है

कहाँ इस्तेमाल होता है: दुपट्टे, शॉल, सलवार कमीज, और शादी की चुन्नी जैसे विशेष परिधान


4. जरदोजी एम्ब्रॉयडरी (Zardozi Embroidery)

जरदोजी एम्ब्रॉयडरी क्या है?

जरदोजी एम्ब्रॉयडरी एक भव्य और चमकदार एम्ब्रॉयडरी स्टाइल है।

जरदोजी, ज़री का ही एक अधिक उभरा हुआ और जटिल रूप है।

यह शानदार कढ़ाई धातु के धागों (सोना, चांदी, तांबा), मोती, सिक्विन और कीमती पत्थरों का उपयोग करके समृद्ध कपड़ों जैसे मखमल और रेशम पर की जाती है। 

राजा-रानियां जरदोजी को पसंद करते थे क्योंकि यह शाही और खूबसूरत दिखती थी।

जरदोजी में किस तरह के पैटर्न सिले जाते हैं?

जरदोजी एम्ब्रॉयडरी में ज्यादातर फूल, पैज़ली, और शाही पैटर्न होते हैं। यह एम्ब्रॉयडरी शादियों और बड़े समारोहों के लिए लोकप्रिय है क्योंकि यह बहुत फैंसी और स्पेशल दिखती है।

कहाँ से है: उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हैदराबाद

पैटर्न: फूल, पैज़ली, शाही डिज़ाइन, और जटिल धातु की सजावट

टेक्निक: सोने और चांदी के धागे (जरी), मोती, बीड्स, और सीक्विन्स (sequins) का इस्तेमाल, जो सुई या आरी हुक से सिले जाते हैं

कहाँ इस्तेमाल होता है: शादी की ड्रेस, साड़ियां, स्पेशल आउटफिट्स (special outfits)

जरदोजी कढ़ाई के बारें में विस्तार से जानने के लिए क्लिक करे :

ज़रदोज़ी कढ़ाई क्या है और कैसे की जाती हैं?


5. मिरर वर्क एम्ब्रॉयडरी (शीशा) (Mirror Work/Shisha Embroidery)

मिरर वर्क एम्ब्रॉयडरी क्या है?

मिरर वर्क (शीशा वर्क) में छोटे-छोटे शीशों का उपयोग किया जाता है।

इन छोटे शीशों को कपड़े पर टांका जाता है ताकि चमकदार पैटर्न बन सकें।

इसे रंगीन धागों के साथ मिलाकर सुंदर डिज़ाइन बनाए जाते हैं।

गुजरात और राजस्थान में यह बहुत लोकप्रिय है।

शीशा कार्य को अक्सर आरी और अन्य कढ़ाई शैलियों के साथ मिलाया जाता है ताकि सुंदरता बढ़ सके। इसका उपयोग कपड़े, दीवार की सजावट और सजावटी वस्तुओं में किया जाता है।

मिरर वर्क में किस तरह के डिज़ाइन इस्तेमाल होते हैं?

मिरर वर्क में आमतौर पर ज्यामितीय आकार (सर्कल/गोल, स्क्वायर/चौकोर, ट्रायंगल/त्रिकोण) और फूल होते हैं। शीशे चमकते और झिलमिलाते हैं। लोग त्योहारों पर मिरर वर्क वाली ड्रेस पहनना पसंद करते हैं क्योंकि यह चमकदार और आकर्षक होती है।

कहाँ से है: गुजरात और राजस्थान

पैटर्न: बोल्ड ज्यामितीय आकार (सर्कल, स्क्वायर, डायमंड), फूल और मोर, छोटे शीशों से सजे हुए

टेक्निक: शीशे बटनहोल स्टिच (buttonhole stitch) से कपड़े पर सिले जाते हैं, चारों ओर चेन या हेरिंगबोन स्टिच (herringbone stitch) चमकीले धागों से की जाती है

कहाँ इस्तेमाल होता है: ब्लाउज, स्कर्ट, बैग, वॉल हैंगिंग, और पारंपरिक गुजराती घागरे

मिरर वर्क के बारें में अधिक जानकारी के लिए :

मिरर एम्ब्रायडरी: क्या है और कैसे करें?


6. कसूती एम्ब्रॉयडरी (Kasuti Embroidery)

कसूती एम्ब्रॉयडरी क्या है?

कसूती एम्ब्रॉयडरी कर्नाटक से आती है।

कर्नाटक की यह कढ़ाई चार मुख्य टांकों से की जाती है – मेंथी, गवांती, नेगी और मुर्गी।

इसे साड़ी, ब्लाउज, तकिए के कवर और चादरों पर देखा जा सकता है।

कसूती कढ़ाई पारंपरिक रूप से मोटे, हाथ से बुने सूती कपड़े पर चमकीले रंग के रेशमी धागों से की जाती है। इसमें सावधानीपूर्वक, साफ-सुथरे टांके लगाकर डिज़ाइन बनाए जाते हैं।

पीछे की तरफ कोई गांठ नहीं होती, जिससे यह बहुत साफ और व्यवस्थित दिखती है।

कसूती के आम डिज़ाइन क्या हैं?

कसूती एम्ब्रॉयडरी में पक्षी, जानवर, मंदिर, रथ और ज्यामितीय पैटर्न होते हैं। पैटर्न बहुत साफ-सुथरे, संतुलित और नाजुक होते हैं।

कहाँ से है: कर्नाटक

पैटर्न: जानवर, मंदिर, ज्यामितीय आकार। समरूप डिज़ाइन जैसे रथ, मोर, हाथी और मंदिर मोटिफ्स

टेक्निक: क्रॉस स्टिच (cross stitch), डबल रनिंग स्टिच। गवंती और मुर्गी जैसे टांके बिना गांठ के काउंटेड थ्रेड एम्ब्रॉयडरी में किए जाते हैं

कहाँ इस्तेमाल होता है: साड़ियां, ब्लाउज, कुर्ते, होम डेकोर


7. कशीदा एम्ब्रॉयडरी, कशीदाकारी (Kashida Embroidery, Kashidakari)

कशीदा एम्ब्रॉयडरी क्या है?

कशीदा एम्ब्रॉयडरी कश्मीर से है। लोग मुलायम ऊन या सिल्क के धागों से गर्म शॉल और मुलायम सिल्क कपड़े पर सुंदर पैटर्न सीते हैं।

कशीदा में किस तरह के पैटर्न सिले जाते हैं?

कशीदा एम्ब्रॉयडरी में प्रकृति, जैसे फूल, पक्षी, पत्तियां और पैज़ली दिखाई जाती हैं। कश्मीरी शॉल इस नाजुक एम्ब्रॉयडरी के कारण प्रसिद्ध हैं।

कहाँ से है: कश्मीर

पैटर्न: फूल, पत्तियां, पक्षी, पैज़ली

टेक्निक: सैटिन स्टिच (satin stitch), स्टेम स्टिच (stem stitch), चेन स्टिच, अक्सर बारीक ऊन या सिल्क के धागों से किया जाता है

कहाँ इस्तेमाल होता है: शॉल, कुर्ते, जैकेट, ड्रेस, कालीन और कुशन कवर जैसी होम डेकोर आइटम्स


8. आरी एम्ब्रॉयडरी (Aari Embroidery)

आरी एम्ब्रॉयडरी क्या है?

आरी एम्ब्रॉयडरी में एक खास हुक वाली सुई (जिसे आरी नीडल कहते हैं) का इस्तेमाल होता है। यह एम्ब्रॉयडरी स्टाइल गुजरात, राजस्थान और कश्मीर में आम है। आरी नीडल लोगों को सुंदर चेन स्टिच जल्दी बनाने में मदद करती है।

आरी एम्ब्रॉयडरी में किस तरह के डिज़ाइन बनाए जाते हैं?

आरी एम्ब्रॉयडरी में आमतौर पर विस्तृत फूलों के पैटर्न और पैज़ली होते हैं। लोग कपड़ों को बीड्स और चमकीले सीक्विन्स से भी सजाते हैं। दुल्हनें अक्सर आरी एम्ब्रॉयडरी वाली ड्रेस पहनती हैं क्योंकि यह एलिगेंट और भव्य दिखती है।

कहाँ से है: गुजरात, राजस्थान, कश्मीर

पैटर्न: फूल और पैज़ली डिज़ाइन, अक्सर घनी सजावट के साथ

टेक्निक: हुक वाली सुई (आरी) का इस्तेमाल चेन स्टिच बनाने के लिए, जरी, बीड्स और स्टोन्स के साथ

कहाँ इस्तेमाल होता है: साड़ियां, लहंगे, ब्लाउज और भारी दुल्हन के कपड़े


9. तोडा एम्ब्रॉयडरी (Toda Embroidery)

तोडा एम्ब्रॉयडरी क्या है?

तोडा एम्ब्रॉयडरी तमिलनाडु की नीलगिरि पहाड़ियों की तोडा जनजाति से आती है। इसमें सफेद सूती कपड़े पर सिर्फ लाल और काले धागे इस्तेमाल होते हैं।

तोडा एम्ब्रॉयडरी में कौन से पैटर्न लोकप्रिय हैं?

तोडा एम्ब्रॉयडरी में ज्यादातर ज्यामितीय आकार जैसे त्रिकोण, चौकोर और लाइनें होती हैं। ये डिज़ाइन तोडा लोगों की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।

कहाँ से है: तमिलनाडु

पैटर्न: ज्यामितीय और प्रकृति से प्रेरित डिज़ाइन, मुख्य रूप से सफेद पर लाल और काले रंग में

टेक्निक: काउंटेड थ्रेड एम्ब्रॉयडरी। रिवर्स स्टिच तकनीक, मोटे कपड़े पर बुनाई के पैटर्न की नकल करने के लिए

कहाँ इस्तेमाल होता है: शॉल, कुशन कवर, बैग, क्लोक और पारंपरिक तोडा परिधान


10. गोटा पत्ती एम्ब्रॉयडरी (Gota Patti Embroidery)

गोटा पत्ती एम्ब्रॉयडरी क्या है?

गोटा पत्ती एम्ब्रॉयडरी में सोने या चांदी के कपड़े की पतली रिबन को सावधानी से कपड़े पर सिया जाता है। यह राजस्थान से आती है और बहुत चमकदार होती है।

गोटा पत्ती डिज़ाइन कैसे दिखते हैं?

गोटा पत्ती एम्ब्रॉयडरी में फूल, पत्तियां, पक्षी और पैज़ली दिखाए जाते हैं। लोग शादियों में गोटा पत्ती वाली ड्रेस पहनना पसंद करते हैं क्योंकि यह चमकदार और त्योहार जैसी दिखती है।

कहाँ से है: राजस्थान

पैटर्न: फूलों की बॉर्डर, पत्तियां और पैज़ली, सोने या चांदी के गोटे का इस्तेमाल करके

टेक्निक: एप्लीक (रिबन सिलाई), डिज़ाइन की आउटलाइनिंग। गोटे की पट्टियों को काटा, मोड़ा और कपड़े पर सिया जाता है, अक्सर 3डी इफेक्ट के लिए परतों में

कहाँ इस्तेमाल होता है: शादी के कपड़े, साड़ियां, अनारकली, लहंगे, दुपट्टे और पगड़ी जैसे त्योहारी एक्सेसरीज


11. राबरी एम्ब्रॉयडरी (Rabari Embroidery)

राबरी एम्ब्रॉयडरी क्या है?

राबरी एम्ब्रॉयडरी गुजरात और राजस्थान के राबरी जनजातीय लोगों से आती है। इसमें चमकीले, रंगीन धागे, शीशे, बीड्स और सजावट का इस्तेमाल होता है।

राबरी एम्ब्रॉयडरी में किस तरह के डिज़ाइन सिले जाते हैं?

राबरी एम्ब्रॉयडरी में जानवर, पक्षी, फूल और जनजातीय प्रतीक दिखाए जाते हैं। रंगीन पैटर्न राबरी लोगों के जीवन और परंपराओं की कहानियां बताते हैं।

कहाँ से है: गुजरात और राजस्थान, राबरी खानाबदोश जनजाति द्वारा की जाती है

पैटर्न: बोल्ड, रंगीन मोटिफ्स जैसे जानवर, पक्षी और ज्यामितीय आकार, अक्सर शीशों के साथ

टेक्निक: चेन स्टिच, हेरिंगबोन और एप्लीक, चमकीले धागों और छोटे शीशों का उपयोग

कहाँ इस्तेमाल होता है: पारंपरिक घागरे, ब्लाउज, बैग और वॉल हैंगिंग


12. पिपली एम्ब्रॉयडरी (एप्लीक) (Pipli Embroidery/Appliqué)

पिपली एम्ब्रॉयडरी क्या है?

पिपली एम्ब्रॉयडरी में रंगीन कपड़े के टुकड़ों को कपड़े पर सिया जाता है। यह ओडिशा के पिपली गांव से आती है। लोग इस एम्ब्रॉयडरी का इस्तेमाल मंदिरों और घरों को सजाने के लिए करते हैं।

पिपली एम्ब्रॉयडरी में कौन से पैटर्न दिखाई देते हैं?

पिपली एम्ब्रॉयडरी में अक्सर फूल, जानवर, पक्षी, हिंदू देवता और ज्यामितीय पैटर्न होते हैं। ये डिज़ाइन चमकीले, रंगीन और खुशनुमा होते हैं।

कहाँ से है: ओडिशा का पिपली गांव, मंदिर की परंपराओं से जुड़ा हुआ

पैटर्न: फूलों, जानवरों (खासकर हाथी) और पौराणिक आकृतियों के जीवंत मोटिफ्स

टेक्निक: एप्लीक वर्क जहां कपड़े के टुकड़ों को बेस कपड़े पर सिया जाता है, अक्सर सजावटी टांकों से आउटलाइन किया जाता है

कहाँ इस्तेमाल होता है: कैनोपी, लैम्पशेड, छतरियां, वॉल हैंगिंग और बैग


13. बंजारा कढ़ाई (Banjara Embroidery)

बंजारा कढ़ाईमें चमकीले रंगों और शीशों का काम होता है। इसे बंजारा समुदाय द्वारा किया जाता है। इसमें पैचवर्क के साथ शीशे का काम किया जाता है और ज्यामितिक डिज़ाइन बनाए जाते हैं। लहंगे जैसे पारंपरिक कपड़ों में इसका इस्तेमाल होता है।

कहाँ से है: राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की बंजारा जनजातियों से जुड़ी हुई

पैटर्न: बोल्ड और जीवंत मोटिफ्स जो अक्सर प्रकृति, पौराणिक कथाओं और प्रतीकात्मक तत्वों पर आधारित होते हैं। ज्यामितीय और दोहराए जाने वाले पैटर्न आम हैं

टेक्निक: फ्री-हैंड एम्ब्रॉयडरी (free-hand embroidery), अक्सर मिरर वर्क और बीड्स की सजावट के साथ मिलाकर की जाती है। यह काम अपने चमकीले धागों और जीवंत मोटिफ्स के लिए जाना जाता है

कहाँ इस्तेमाल होता है: पारंपरिक पोशाक, साड़ियां, दुपट्टे, बैग और एक्सेसरीज जो रंगीन खानाबदोश परंपराओं को उजागर करते हैं


14. चंबा रूमाल (Chamba Rumal)

हिमाचल प्रदेश की यह कढ़ाई पहाड़ी पेंटिंग से प्रेरित है। इसमें सूती कपड़े पर डबल साटन टांके का इस्तेमाल होता है। चंबा रूमालमें दो तरफा कढ़ाई होती है, जिसमें धार्मिक और रोज़मर्रा के दृश्य कढ़ाई किए जाते हैं।

कहाँ से है: हिमाचल प्रदेश के चंबा क्षेत्र से उत्पन्न हुई

पैटर्न: जटिल चित्रात्मक कथाएं, फूलों के डिज़ाइन और कभी-कभी कहानी कहने वाले मोटिफ्स जो जीवन के दृश्य, प्रकृति या पारंपरिक किंवदंतियों को दर्शाते हैं

टेक्निक: छोटे वर्गाकार कपड़े पर की जाने वाली बारीक, विस्तृत एम्ब्रॉयडरी (रूमाल का मतलब रूमाल होता है)। इस काम में अक्सर करीब से सिले गए, उच्च विवरण वाले चित्रण शामिल होते हैं जिनमें सटीकता की आवश्यकता होती है

कहाँ इस्तेमाल होता है: पारंपरिक रूप से समारोह में इस्तेमाल होने वाले रूमाल या स्टोल के रूप में। आज, चंबा रूमाल को प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक संग्रहों में एक ललित कला के रूप में सम्मानित किया जाता है


15. सुजनी कढ़ाई (Sujini Embroidery)

  • क्षेत्र: बिहार।
  • यह कढ़ाई पुरानी साड़ियों के कपड़े के टुकड़ों का उपयोग करके बनाई जाती है। रनिंग टांके का उपयोग करके परतों को जोड़ा जाता है और सजावटी डिज़ाइन बनाए जाते हैं। सुजनी कढ़ाई का उपयोग quilts, कंबल और अन्य घरेलू सामान बनाने के लिए होता है।

16. पश्मीना कढ़ाई (Pashmina Embroidery)

  • क्षेत्र: कश्मीर।
  • पश्मीना शॉलों पर की जाने वाली बारीक कढ़ाई होती है, जिसमें प्राकृतिक दृश्य बनाए जाते हैं। यह काफी मेहनत से की जाती है।

कुछ और कढ़ाई

  • कमल कढ़ाई:
    आंध्र प्रदेश की यह कढ़ाई कमल की पंखुड़ियों जैसी दिखती है। इसे कमल कढ़ाई भी कहते हैं।
  • गोटा पट्टी:
    राजस्थान की यह कढ़ाई है जिसमें सोने या चांदी की पट्टियों का इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक कपड़ों पर यह बहुत सुंदर लगती है।
  • हीर भरत:
    गुजरात की यह कढ़ाई रेशमी धागों और शीशों से की जाती है। इसमें चमकीले रंगों का इस्तेमाल होता है।

इनमें से हर कढ़ाई शैली अपनी क्षेत्रीय सांस्कृतिक धरोहर और कला परंपराओं को दर्शाती है। भारतीय कढ़ाई की विविधता इसे एक जीवंत और आकर्षक कला रूप बनाती है।


Different Types of Indian Embroidery

कश्मीर

काशीदाकारी, कश्मीरी कढ़ाई, प्रकृति से प्रेरित डिज़ाइन बनाती है। रेशम के धागे का काम, मोती, ज़रदोज़ी आदि काशीदाकारी की कला का हिस्सा हैं।

ज़रदोज़ी के काम में, सोने और चांदी के तारों का उपयोग किया जाता है जैसा कि नीचे दी गई छवि में दर्शाया गया है।


राजस्थान और गुजरात

इस कढ़ाई में ज्यामितीय (geometric) आकृतियाँ देखने को मिलती हैं, जिसमें दर्पण, गोले, मोतियों का उपयोग किया जाता है, जैसा की निचे दिए गए इमेज में दिखाई दे रहा है। ये राज्य गोटावर्क के लिए भी लोकप्रिय हैं।


पंजाब

पंजाब की कढ़ाई को लोकप्रिय रूप से फुलकारी के रूप में जाना जाता है।

इस कढ़ाई में, ज्यामितीय रूप में फलों की आकृतियाँ देखने को मिलती हैं।

यूरोप की ‘लाइन स्टिच’ का भी विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जाता है। फुलकारी के कुछ सामान्य रूपांकन नीचे दी गई छवि में दिखाए गए हैं।


कर्नाटक

कर्नाटक की कढ़ाई को कसुती के नाम से जाना जाता है। मंदिर के रूपांकनों को आम तौर पर दिखाया जाता है। इस कढ़ाई में चीनी सुईवर्क का प्रभाव देखा जा सकता है।


बंगाल

बंगाल की कढ़ाई को कंथा के नाम से जाना जाता है, जो जीवन की कहानी बयां करती है। कढ़ाई की कंथा कला में, पुरानी साड़ियों और कपड़ों को एक साथ जोड़कर कढ़ाई की जाती है।

बिहार की सुजानी भी कंथा के समान प्रतीत होती है। मणिपुर की कढ़ाई भी कंथा और सुजानी से काफी मिलती जुलती है। पुष्प कंथा रूपांकनों को चित्र में दिखाया गया है।


हिमाचल प्रदेश

इस जगह के चम्बरुमल, कृष्ण की रास-लीलाओं के पौराणिक विषयों को दर्शाते हैं जैसा कि आप चित्र में देख सकते हैं। इनका उपयोग विभिन्न धार्मिक अवसरों पर किया जाता है।


उत्तर प्रदेश

लखनऊ की जटिल और सुंदर कढ़ाई को चिकनकारी कहा जाता है। इसमें लताओं और फूलों के रूपांकनों का उपयोग किया जाता है।

इस कढ़ाई में बहुत महीन और पारदर्शी कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें पीछे की तरफ कढ़ाई की जाती है और यह कपड़े के सामने की तरफ एक छाया के रूप में दिखाई देती है।


आदिवासी

कढ़ाई के इस रूप में कढ़ाई करने के लिए एप्लिक, सोना, चांदी, विभिन्न मोटाई के दर्पण के छोटे टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। इस कढ़ाई में इस्तेमाल किए गए कुछ लोकप्रिय रूपांकनों को चित्र में दिखाया गया है।


Indian Embroidery Types

निचे भारतीय कढ़ाई के कुछ और प्रकार दिए गए है।

धार्मिक कढ़ाई (Religious Embroidery)

भारत में धार्मिक कढ़ाई का बहुत महत्व था, क्योंकि भारत कई धर्मों की भूमि है।

धार्मिक कढ़ाई से सजी पोशाक शुभ मानी जाती है और धार्मिक गतिविधियों और अवसरों पर पहनी जाती है।

वस्त्रों के अतिरिक्त चित्रों, साजो-सामान, बैग, आभूषण आदि पर भी धार्मिक कढ़ाई की गई दिखाई देती है।


एप्लीक कढ़ाई (Appliqué Embroidery)

एप्लीक कढ़ाई भारतीय कढ़ाई का अद्भुत रूप है और काफी प्रसिद्ध है।

इस कशीदाकारी की तकनीक यह है कि आकर्षक डिज़ाइन बनाने के लिए अलग-अलग फ़ैब्रिक के टुकड़ों को इनलेइंग या आउटलेइंग के माध्यम से एक बेस फ़ैब्रिक पर सिल दिया जाता है।

हाथ से एप्लीक और मशीनी एप्लीक, एप्लिक कशीदाकारी के दो प्रमुख रूप हैं और दोनों अपने आप में अलग दिखते हैं।

कपड़ों, पर्दों, दीवार चित्रों, कुशन, बैग आदि पर एप्लीक की कढ़ाई की जाती है।


मनके की कढ़ाई (Beaded Embroidery)

मनके की कढ़ाई कढ़ाई का सबसे पसंदीदा रूप है।

महिलाएं कढ़ाई के अन्य रूपों की तुलना में इसे अत्यधिक पसंद करती हैं।

सुंदर डिजाइनों में चमकदार मोती एक शानदार चमक प्रदान करते हैं।

मनके वाले कपड़े बेहद ग्लैमरस, समृद्ध और भव्य दिखते हैं।

बीडेड एम्ब्रॉयडरी में इस्तेमाल होने वाले बीड्स कई तरह के होते हैं जैसे ग्लास बीड्स, वुडन बीड्स, मैटेलिक बीड्स, प्लास्टिक बीड्स आदि।

पोशाकों के अलावा, मनके की कशीदाकारी बैग, जूते, फैशन ज्वेलरी, घरेलू सामान, हस्तशिल्प आदि जैसे सामानों को भी अलंकृत करती है।


फूलों की कढ़ाई (Floral Embroidery)

पुष्प कढ़ाई भारतीय कढ़ाई के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है।

जैसे फूल वातावरण को ताजगी देते हैं, वैसे ही वस्त्रों पर फूलों की डिजाईन रूप-रंग को ताजगी देती हैं।

भारतीय लोगों द्वारा प्राकृतिक सुंदरता की अत्यधिक प्रशंसा की जाती है इसलिए कढ़ाई में पुष्प डिजाइन हमेशा हिट होते हैं।

वे फैशन में बने रहते हैं और हर किसी पर अच्छे लगते हैं।

बेड लिनन, होम फर्निशिंग, कपड़े, वॉल हैंगिंग, तकिए, बैग, स्कार्फ, गहने आदि पर फूलों की कढ़ाई के डिजाइन देखे जाते हैं।


पैचवर्क कढ़ाई (Patchwork Embroidery)

पैचवर्क डिज़ाइन भारतीय कढ़ाई का एक बहुत ही सुंदर रूप है।

इस कशीदाकारी में कपड़े के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक साथ सिलाई करके एक बड़ा पैटर्न बनाया जाता है।

यह हाथ और मशीन दोनों से किया जाता है और वस्तु को एक अलग रूप प्रदान करता है।

बैग, दीवार चित्रों, कपड़ों आदि पर पैचवर्क का उपयोग होता है।

ये भारतीय कढ़ाई के विभिन्न रूप हैं। ये सभी अद्वितीय हैं और आकर्षक दिखते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में कई अलग-अलग एम्ब्रॉयडरी स्टाइल हैं जो अलग-अलग राज्यों से आती हैं। हर स्टाइल अपने आप में खास है।

भारत की एम्ब्रॉयडरी परंपराएं रंगीन, सुंदर और कहानियों से भरी हुई हैं। हर एम्ब्रॉयडरी स्टाइल एक अनूठा इतिहास और अर्थ रखती है। एम्ब्रॉयडरी सीखना सरल, मजेदार और संतोषजनक हो सकता है। इस लिस्ट में से अपनी पसंदीदा एम्ब्रॉयडरी स्टाइल चुनें और इसे आज़माएं! आप अपने हाथों से कुछ सुंदर बनाने का आनंद लेंगे।

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